अलबेला रघुवर आयो जी

अलबेला रघुवर आयो जी

यह एक लोकगीत होता है जो मैथिली संस्कृति का रूपक है. इसमें एक प्रेम का चित्रण मिलता होता है. यह गीत अम्मी और पोते के रिश्ते को हैं. इस लोक

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आगमन रघुवर आयो जी

पंथिया मधुर में वह प्रवेशकिया एक नये युग का। जनता की आशाओं उसके साथ, शुभकामनाएं । संबंध का मूल , वह अपने पदवी में मान्य । आजादी का दिन,

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अलबेला रघुवर आवे जी

यह एकांकी लोकगीत हैं जो मैथिली सभ्यता का प्रतिबिंब हैं. इसमें अनगिनत भावना जो वर्णन मिलता होता है. यह भाषा अम्मी और पिताजी के भावना को

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